आलाधिकारियों की उदासीनता के चलते कानपुर का जिला सूचना कार्यालय दुर्दशा का शिकार!
आलाधिकारियों को अब क्या किसी हादसे का है इंतज़ार…?
उत्तर प्रदेश सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है “सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग”
कानपुर। सूबे के हर जिले में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के सूचना कार्यालय हैं और कानपुर नगर (जिसे स्मार्ट सिटी का दर्जा दे दिया गया है) का जिला सूचना कार्यालय, ऐतिहासिक गांधी भवन, फूलबाग में स्थित है। जो कि जिले के आलाधिकारियों की उदासीनता और अनदेखी का खामियाजा भुगत रहा है।
जिला सूचना कार्यालय, जोकि सरकारी योजनाओं, विकास कार्यों और जनहित की सूचनाओं का प्रसार करने का केंद्र होता है, खुद ही उपेक्षा का शिकार हो गया है। परिणामतः इस कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को दहशत के साये में काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है जबकि प्रस्तावित योजना के तहत “सूचना संकुल” बनवाने के लिए शासन और प्रशासन को मेरे द्वारा अनेक भेजे गए लेकिन उन्हें भी कागजी औपचारिकता की भेंट चढ़ा दिया गया गया।
“जिला सूचना कार्यालय” की बदहाली न केवल इस विभाग की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है बल्कि यहां पर तैनात कर्मचारियों को बदहाली में काम करने को मजबूर कर रही है।

आइए,
इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करते हैं :-
कानपुर स्मार्ट सिटी के ऐतिहासिक फूलबाग में गांधी भवन है, जो कि देखने में जर्जर हो चुका है।
इसी भवन के कुछ हिस्से से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उप्र का अधीनस्थ “जिला सूचना कार्यालय” संचालित है।
स्थिति यह है कि रखरखाव के अभाव के चलते यह भवन दिनों – दिन बदहाल होता जा रहा है। दीवारों में दरारें, छत से टपकता पानी और समुचित अन्य साधनों की समस्याएं आम हैं।
जिला सूचना कार्यालय में कंप्यूटर, प्रिंटर और अन्य आवश्यक उपकरण पुराने हो चुके हैं, जो आधुनिक सूचना प्रसार के लिए अपर्याप्त हैं। कर्मचारियों को काम करने के लिए न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
इसके अलावा, वर्तमान समय में कार्यालय में फाइलें संभालना जोखिम भरा हो गया है। भवन की स्थिति को देखते हुए यहां कार्यरत कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पढ़ रहा है।
जिला सूचना कार्यालय की इस बदतर स्थिति को उबारने के लिए पिछले कई वर्षों में अनेक पत्र शासन और स्थानीय प्रशासन को भेजे गए हैं। जिसमें यह मांग रही है कि आधुनिक सुविधाओं युक्त “सूचना संकुल” का निर्माण किया जाए, जो कि प्रस्तावित भी है और जिसमें कार्यालय, प्रशिक्षण कक्ष, मीडिया सेंटर और कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधाएं शामिल हैं।

हालांकि, कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। शासन स्तर पर केवल कागजी खानापूर्ति की गई – अर्थात, पत्रों का जवाब तो आया, लेकिन कोई व्यावहारिक कदम नहीं उठाया गया।
यह सब दिखाता है कि अधिकारियों ने निष्ठा से अपना दायित्व नहीं निभाया जो कि एक चिंताजनक पहलू है अधिकारियों की उदासीनता का परिचायक है। जिलाधिकारी व मंडलायुक्त कार्यालयों में अनेक विभागीय समीक्षा बैठकें होती हैं, लेकिन फूलबाग कार्यालय की स्थिति पर कोई चर्चा नहीं होती!
विभाग के कार्यस्थल की नाजुक स्थिति का असर वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों के मन मस्तिष्क पर व्यापक प्रभाव डालता है क्योंकि कर्मचारियों के मन में दहशत पनपने से उन की दक्षता घटती है, जिससे कार्य प्रभावित होता है।
वहीं, किसी हादसे का इंतजार न करके समाधान के रूप में प्रभावी कदम उठाया जाए और सूचना संकुल का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर करवाया जाए, जिसमें सीसीटीवी, गार्ड और सभी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए।
-श्याम सिंह पंवार ✍️



















