01 अक्टूबर 2024 को प्रयत्न संस्था द्वारा पार्किंसन Disease , 03 things which will save you from this disease (पार्किंसन डिजीज अपडेट 2024, 03 बातें जो कि इस बीमारी से बचाव कर सकती है) पर एक साइंटिफिक कार्यक्रम होटल कैलाश, अंबेडकरपुरम, कल्यानपुर, कानपुर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में चेयरपरसरन प्रो0 (डा0) एस.के. कटियार, पूर्व प्रधानाचार्य, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर, मुख्या वक्ता प्रो0 (डा0) नवनीत कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी एवं प्रधानाचार्य, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर तथा कानपुर नगर के चिकित्सकगण उपस्थित थे साइंटिफिक कार्यक्रम के चेयरपरसरन प्रो0 (डा0) एस.के. कटियार, पूर्व प्रधानाचार्य, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर ने सभी का स्वागत किया एवं मुख्य वक्ता प्रो0 (डा0) नवनीत कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी एवं प्रधानाचार्य, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर के बारे में सक्षिप्त परिचय दिया मुख्य वक्ता प्रो0 (डा0) नवनीत कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी एवं प्रधानाचार्य, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कालेज, कानपुर ने बताया कि पार्किंसन की बीमारी में व्यक्ति के हाथों में कंपन और चलने में दिक्कत होती है इस बीमारी के बारे में चरक संहिता में महर्षि चरक के द्वारा इसका जिक्र किया गया है जिसमें इसको कंपवात का नाम दिया गया था लेकिन पश्चिमी इतिहास के द्वारा इसको नकारते हुए 1817 मे एक ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट जेम्स पार्किंसन को इस बीमारी को पहचानने का श्रेय दिया जाता है तभी से इस बीमारी को पार्किंसन की बीमारी कहा जाता है। यह बीमारी दिमाग के एक हिस्से में डोपामीन की कमी होने से आरंभ होती है और सामान्य 60 वर्ष की उम्र के बाद यह आरंभ होती हैं उन्होंने बताया कि यद्यपि लगभग 5 प्रतिशत रोगी जीन्स (Genes) की खराबी होने के वजह से ग्रसित हो सकते हैं और इस तरह के रोगी 40 वर्ष की उम्र में ही ग्रसित हो सकते हैं। हमारे देश में इस समय लगभग 15 लाख रोगी हैं और उम्र बढ़ाने के साथ-साथ इस बीमारी का प्रकोप और तीव्रता बढ़ती जाती है बीमारी होने की वजह कुछ लोगों में कुछ विषैले पदार्थ (टॉक्सिन) जैसे MPTP जो की Pethidine में होता है, के द्वारा यह रोग संभव है लेकिन अभी तक यह रोग होने की वजह ज्ञात नहीं हो पाई है बीमारी के लक्षण इसके तीन प्रमुख लक्षण हैः-
शरीर का मूवमेंट धीमा हो जाना जिसे ब्रेडीकाइनेशिया (Bradykinesia) कहते हैं शरीर में कड़कपन हो जाना जिसको हम स्टिफनेस। रिजीडिटी (स्टीफ्फनेस /रिगिडिटी ) कहते हैं हाथों का कंपन जो कि आरंभ में एक हाथ से शुरू होता है और बाद में दोनों हाथों में आ जाता है। इस तरह के व्यक्तियों में शरीर में कुछ परिवर्तन हो जाते हैं जैसे चेहरे पर स्टीफ्फनेस , हैंडराइटिंग का छोटा हो जाना और पलक झपकाने में कमी हो जाना इत्यादि होते हैं इसके अलावा इस तरह के रोगियों में रोग प्रारंभ होने के 10 वर्ष पहले से नॉन – मोटर सिम्पटम्स भी आरंभ हो जाते हैं जैसे नाक में सुगंध की शक्ति खत्म हो जाना, जोड़ों में दर्द हो जाना, नींद में डिस्टरबेंस हो जाना, याददाश्त की कमी हो जाना या चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण शामिल हैं इन लक्षण के शुरू होने पर इसका उपचार आवश्यक है और और आने वाले वर्षों में इस बीमारी से खुद को सावधान करना आवश्यक है। यह बीमारी पुरुषों में अधिक होती है और महिलाओं में कम होती है इस बीमारी का इलाज डोपामिन एगोनिस्ट्स- मेनली फार रिजीडिटी रोटिगोटीन, कार्बीडोपा/लेवाडोपा फार्मूलेशनस एम.ए.ओ.आई. (सैलेजिलीन) सेलेक्टिव इररिवर्सिबल एम.ए.ओ. बी. इन्हीबिटर, ड्रग्स काजिंग लेवोडोपा अग्मेंटेशन, सेन्ट्रली एक्टिंग एन्टीकोलिनर्जिक एजेंट्स, अमन्टाडान फॉर टेमर्स इत्यादि यह आवश्यक है कि इस बीमारी की जानकारी के लिए जागरूकता पैदा की जाए जिससे इस बीमारी से बचा जा सके और इस बीमारी का उपचार ठीक से किया जा सके इस अवसर पर चिकित्सकों ने प्रो0 (डा0) नवनीत कुमार एवं प्रो0 (डा0) एस.के. कटियार से प्रश्न पूँछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया कार्यक्रम का संचालन प्रयत्न संस्था के सचिव डा0 प्रवीन कटियार द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम का संयोजन कार्यक्रम निदेशक डा0 पंकज गुलाटी ने किया इस अवसर पर डा0 आर.एन. चौरसिया, डा0 दिनेश सिंह सचान, डा0 पल्लवी चौरसिया, डा0 अमर सिंह, डा0 कविता गुलाटी एवं अन्य प्रसिद्ध चिकित्सकगण उपस्थित थे