नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि डबल इंजन सरकार में बिहारवासियों पर डबल मार पड़ रही है। सर्पदंश और ठनके से मौत पर बिहार सरकार चार लाख का मुआवज़ा देती है, लेकिन सरकार की नाकामी के कारण पलायन कर रोजी-रोटी के लिए बाहर गए बिहारी श्रमवीरों को आतंकवादियों द्वारा मारे जाने पर दो लाख रुपए देती है।
तेजस्वी ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि सरकार बिहार में नौकरी-रोजगार देगी नहीं और रोटी के लिए बाहर जाएंगे तो मार दिए जाएंगे। तेजस्वी ने कहा कि सरकार ने एक बिहारी की जान की क़ीमत दो लाख रुपए लगाई है। सीएम नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा कर बिना कोई संवेदना प्रकट किए बेफिक्र हो गये। सरकार का यह निराला अंदाज राज्य के श्रमवीर समझ नहीं पा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है कि ‘अन्याय के साथ विनाश’ ही एनडीए सरकार का मूल मंत्र है।
तेजस्वी राजनीतिक पत्थरबाज की भूमिका न निभाएं: भाजपा
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सह बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ निखिल आनंद ने तेजस्वी यादव के कश्मीर में बिहारी भाइयों की हत्या पर दिए गए बयान की निंदा करते हुए कहा कि तेजस्वी राजनीतिक पत्थरबाज़ की भूमिका न निभायें और बतायें कि धारा 370 एवं 35ए को खत्म करने के विरोध में बयान देकर किसको खुश करना चाहते हैं? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि क्या बिहार के नेता प्रतिपक्ष पाकिस्तान, तालिबान और आतंकवादियों को खुश करना चाहते है? नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार और सुरक्षा बलों की ओर से आतंकवादियों के खात्मे के लिए जो कार्रवाई हुई है और फिर कश्मीर में शांति बहाली के लिए प्रयास किए गए हैं, उसके खिलाफ तेजस्वी यादव बोल रहे हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर राजद की घटिया मानसिकता और राष्ट्रविरोधी भावना झलक रही है।
कश्मीर में बिहारी श्रमिकों की हत्या की जिम्मेदार सरकार : आरजेडी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार के दो श्रमिकों को जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा हत्या की घटना के लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराया है। साथ ही कहा है कि इसके पहले की घटनाओं के लिए सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस घटना की जानकारी मिल गई होगी। इसके पहले की घटना की जानकारी तो उन्हें दो दिन बाद पत्रकारों से मिली थी। सरकार ने पिछले 16 साल से किए जा रहे ‘सुशासन’ के दावे के अनुरूप सचमुच रोजगार सृजन पर गंभीरता से कुछ भी किया होता तो करोड़ों बिहारवासियों को हर वर्ष पलायन के लिए विवश नहीं होना पड़ता।
सरकार की नाकामी के कारण ये सभी आतंकवाद की भेंट चढ़े युवक अपने घर से दूर एक आतंकवाद प्रभावित दूसरे राज्य में रोजगार की तलाश में पलायन करने को विवश हुए। सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए प्रवासी मजदूर शब्द पर आपत्ति जताती है पर पलायन के ज़हर को गरीब बिहारवासियों के जीवन से मिटाने का कोई ईमानदार प्रयास नहीं करती है। केंद्र ने दावा किया था कि धारा 370 हटने से आतंकवाद का घाटी से अंत हो जाएगा। जदयू ने भी इस कदम का देश के लिए ऐतिहासिक दिन बताकर समर्थन किया था। लेकिन अब तो दिख रहा है क्या हकीकत है।
UPTV 7 से भूपेंद्र सिंह की रिपोर्ट











