उत्तर भारत का 160 वर्ष प्राचीन दक्षिण भारतीय महाराज प्रयाग नारायण मंदिर शिवाला के गर्भगृह में भगवान लक्ष्मीनारायण, श्री देवी, भू देवी एवं सुदर्शन जी को विधिवत पुनर्निर्मित रजत शाही सिंहासन पर विराजमान कराके, समर्पित किया गया। मंदिर के युवा प्रबंधक अभिनव नारायण तिवारी ने सर्वप्रथम महाआरती कर मन्दिर के प्रधान अर्चक द्वारा तुलसी अर्चना की गयी। इसी के साथ मंदिर भगवान के कपाट ( द्वार ) शंख ध्वनि, कालही ध्वनि, वाद्ययंत्र एवं बैंड बाजे की ध्वनि के साथ खोले गये। पूरा मंदिर प्रांगण श्रीमन नारायण नारायण के उदघोष एवं आकाशी आतिशबाजी से गुजायमान था। यह पुननिर्मित रजत शाही सिंहासन उत्तर भारत का एक मात्र विशालतम सिंहासन है। सिंहासन समपर्ण दर्शन कार्यक्रम में उपस्थित भक्तो एवं गणमान्य लोगो को मंदिर के अर्चकों द्वारा श्री सटकोप चरण, भगवान को समर्पित सुगन्धी एवं महाप्रसाद का सामूहिक वितरण किया गया। मंदिर का 160 वर्ष के कार्यकाल एवं वर्ष भर के पाक्षिक, साप्ताहिक, मासिक एवं वार्षिक उत्सवों के संदर्भ में डॉ० प्रदीप दीक्षित ने संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। सिंहासन समर्पण कार्यक्रम मंदिर अध्यक्ष मुकुल विजय नारायण तिवारी एवं प्रबंधक अभिनव नारायण तिवारी के दिशा निर्देश में संम्पन्न हुआ।
भगवान लक्ष्मीनारायण को समर्पित, रजत शाही सिंहासन।


















