क्रांतिकारीयों की याद में प्रतिवर्ष यहाँ लगता है
एतिहासिक गंगा मेला
होली के पांचवे दिन पड़ने वाले ,अनुराधा नक्षत्र के दिन होता है रंगोत्सव
कानपुर के ऐतिहासिक गंगा मेला की वर्ष 1942 में पड़ी थी नींव
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कमल मिश्रा वरिष्ट संवाददाता कानपुर ।
आजादी के मतवाले क्रांतिकारियों की याद व अंग्रेजी हुकूमत की हार का प्रतीक रूप में मनाई जाने वाली कानपुर नगर की इस खास होली का नज़ारा होली के पांचवें दिन जबरदस्त उत्साह के साथ नगर के सरसैया घाट पर गंगा मेला के रूप में देखने को मिलता है । और इस दिन शहर का हर बाशिन्दा जमकर होली के रंगों में सराबोर होता है । दरअसल अपने बिरले अंदाज के लिये प्रसिद्ध यह होली अंग्रेजी हुकूमत की हार व आज़ादी के मतवाले क्रांतिकारियों की याद में प्रतिवर्ष खेली जाती है जिसमे गंगा पर गंगा जमुनी तहजीब से लबरेज़ कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है । आपको बता दे कि वर्ष 1942 में इस मेले की नींव रक्खी गई थी।
यह जानकारी देते हुए मेला संयोजक ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताई ।उन्होंने कहा कि मेला आयोजन कर्ता इस कमेटी की स्थापना स्व. गुलाब चंद्र सेठ ने की थी। हटिया तब नगर के बड़े व्यापारियों और क्रांतिकारियों का गढ़ हुआ करता था। इन्हीं क्रांतिकारियों की प्रेरणा से कुछ युवकों द्वारा 1942 में होली के दिन तिरंगा फहरा दिया। हुकूमत द्वारा तिरंगा उतारने के विरोध में क्रांतिकारी युवकों ने घोड़े पर सवार एक अंग्रेज के धमकाने पर उसकी पिटाई करने के कारण दर्जन भर लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जिसका शहर भर के सभी व्यापारियों की एक जुटता के चलते बाजार बंद कर दिए गए ,इस जबरदस्त विरोध को देख गिरफ्तार युवा क्रांतिकारियों को आखिरकार 5 दिन बाद अंग्रेजी हुकूमत को क्रांतिकारीयों के आगे नतमस्तक होकर रिहा करना पड़ा और इसी दिन अनुराधा नक्षत्र भी था। इसी खुशी में हटिया के व्यापारियों समेत पूरे शहर में जमकर होली खेली गई। रंगों का ठेला निकाला गया। और सरसैया घाट पर गंगा स्नान के बाद हर समुदाय के लोगो ने गले मिलकर होली की बधाई दी । तब से लेकर आज तक होली के दिन से पांचवे दिन अनुराधा नक्षत्र तक लगातार पांच दिनों तक होली मनाये जाने की परंपरा बरकरार है

गंगा मेला के दिन यहां भीषण होली होती है। ठेले पर होली का जुलूस निकाला जाता है। ये जुलूस हटिया बाजार से शुरू होकर नयागंज, चौक सर्राफा सहित कानपुर के करीब एक दर्जन पुराने मोहल्ले से होकर गुजरता है। इसके बाद दोपहर 2 बजे तक हटिया के रज्जन बाबू पार्क में आकर जुलूस समाप्त होता है। शाम को सरसैया घाट पर गंगा मेला का आयोजन किया जाता है। यहां शहर भर से लोग एकत्र होते हैं और एक-दूसरे को होली की बधाइयां देते हैं।हर मोहल्ले में होरियारों का स्वागत घर की छतों से महिलाएं रंगों की बौछार करके करती है।

इस बावत प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया यूथ ब्रिगेड प्रदेश सचिव नरेश सिंह चौहान ने शहर वासियों को होली गंगा मेले की बधाई देते हुए कहा कि इस बार कोरोना के डर के चलते होलियारों का हुडदंग व सरसैया घाट पर मेलें की रंगत काफी फ़ीकी दिखी वहीं उमड़ने वाले जनसैलाब भी इस वर्ष कम रहा ।



















