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राष्ट्रीय शर्करा संस्थान द्वारा औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र विकसित

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर एक कम लागत वाला औद्योगिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (एफ्लूपेन्ट ट्रीटमेंट प्लाण्ट विकसित करने में सफल रहा है जो जल उपचार की नवीनतम तकनीकों के साथ-साथ गन्दे पानी को साफ करने के प्राचीन तरीकों का एकीकरण है “जल सजग नामक प्रणाली को प्रोफेसर नरेंद्र मोहन निदेशक की देखरेख में रिसर्च फेलो सुश्री नीलम चतुर्वेदी या सुधांशु मोहन वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा विकसित किया गया
हम पिछले पांच वर्षों से चीनी उद्योग के अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए कई तकनीकों पर काम कर रहे थे ताकि ऐसे अपशिष्ट उपचार संयंत्र (एफ्लूपेन्ट ट्रीटमेंट प्लाण्ट) विकसित किए जा सके जो प्रदूषण भार में भिन्नता होने पर भी केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानदंडों के अनुसार उपचारित जल उपलब्ध करा सकें एवं जिसकी स्थापना व परिचालन लागत कम हो, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने कहा विकसित तकनीक में जबकि प्राथमिक उपचार रेत और बजरी वाले इनोवेटिव डीप ब्रेड फिल्टर, जिसकी सबसे ऊपरी परत पर टायफा और कोराई जैसे कुछ जलीय पौधों के साथ वाइट जो प्रदूषकों को हटाने की क्षमता रखता है, के माध्यम से होता है, द्वितीयक उपचार जलकुंभी का उपयोग करके फाइटोरेमेडिएशन तकनीक पर आधारित होता है रंग और अभी भी बचे कुछ अन्य प्रदूषकों को हटाने के लिए, द्वितीयक उपचार इकाई से निकलने वाले पानी को चीनी कारखानों से प्राप्त सोई का उपयोग करके स्वदेशी रूप से विकसित एक्टिव बायो- चार बेड के माध्यम से फ़िल्टर किया जाता है।
इसके परिणामस्वरूप रासायनिक ऑक्सीजन मांग (सीओडी), जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) एवं कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) आदि प्रदूषकों को काफी हद तक हटाया जा सका, जिससे यह ताजे पानी के रूप में उपयोग के लिए उपयुक्त हो गया। इसे फिर रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्रणाली से गुजारने पर पीने योग्य पानी की गुणवत्ता प्राप्त की जा सकी। हमने बारह चीनी कारखानों से अपशिष्ट के नमूने एकत्रित कर ये प्रयोग किए। उपचारित जल में सीओडी, बीओडी और टीडीएस की मात्रा लगभग 0-10 पीपीएम, 0.1-0.2 पीपीएम और 28-49 पीपीएम पायी गयी, जिसमें कोई माइक्रोबियत संदूषण नहीं था और न ही क्रोमियम, आर्सेनिक, सीसा और कैडमियम आदि जैसे भारी धातुओं की उपस्थिति थी। उपचारित पानी में लगभग तीन महीने तक रखने के बाद भी कोई गंध या स्वाद नहीं आया, सुश्री नीतम चतुर्वेदी ने कहा हमने पानी के नमूनों का अन्य प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं से भी विश्लेषण कराया।
हमने इस अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली का परीक्षण अन्य उद्योगों से प्राप्त दूषित जल पर भी किया है और पाया कि इसका खाद्य प्रसंस्करण और कई अन्य उद्योगों में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, अपशिष्ट जल की गुणवत्ता को देखते हुए मामूली बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. निदेशक ने कहा। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रवाह स्थिरीकरण प्रणाली और कन्डक्टीविटी माप प्रणाली आदि को अपनाकर प्रणाली को स्वचालित भी किया जा सकता है।

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