कानपुर। चेस्ट को अगर दुरुस्त रखना है तो धूल और धुएं से दूरी बनानी होगी। जहां बात गुरुग्राम मेदांता अस्पताल के छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुखराम बिश्नोई ने कहीं। बड़ा चौराहा स्थित के केयर हॉस्पिटल में ओपीडी सेवा देने आए डॉ बिश्नोई ने साफ कहा कि धूल और धुआ फेफड़ों के लिए सबसे घातक है क्योंकि एक बार फेफड़ों में कोई चीज जम गई तो उसे निकालना संभव नहीं है लिहाजा लोगों को इससे परहेज करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कानपुर और नई दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है जहां पर न चाहते हुए भी इंसान बैक्टीरिया को अपने फेफड़े में ले लेता है जिसके चलते उन्हें घातक बीमारियां हो रही है। यह काफी चिंता का विषय है लिहाजा लोगों को सचेत रहने की आवश्यकता है। इस मौके पर अस्पताल के डॉक्टर मयंक भार्गव ने बताया कि डॉ बिश्नोई की ओपीडी महीने के दूसरे शनिवार को अस्पताल परिसर में दोपहर 11:00 बजे से 2:00 बजे तक होगी। छाती की बीमारी से ग्रसित मरीजों को अब शहर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा उन्हें यहां पर उचित परामर्श मिल सकेगा। एक सवाल के जवाब में डॉक्टर बिश्नोई ने बताया कि अगर किसी क्रिटिकल कंडीशन में सर्जरी की आवश्यकता होगी तो मरीज को मेदांता हॉस्पिटल रेफर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर किसी भी व्यक्ति को सांस लेने में जरा भी दिक्कत महसूस हो रही है तो वह अनदेखी न करें बल्कि डॉक्टर से संपर्क कर उचित परामर्श देता की समय रहते इलाज किया जा सके।
धूल और धुआं छाती के लिए सबसे घातक: डॉ सुखराम बिश्नोई


















