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छठ मैईया के पावन पर्व पर दिखी कानपुर के सभी गंगा घाटो के तट पर श्रद्धालु की भीड़,

छठ मैईया का यह पावन पर्व यूं तो पूर्वांचल का पर्व कहा जाता है, लेकिन इस पर्व को पूरे विश्व में सनातन धर्म के लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, कहा जाता है की मैईया पार्वती का छठा रूप छठ मैईया का रूप है, छठ मैईया को भगवान सूर्य देवता की बहन भी कहा गया है, छठ मैईया को संतान की देवी समृद्ध की देवी सुख की देवी भी कहा गया है, यह मान्यता पुराण काल से चली आ रही है,  गंगा के तट पर छठ मैईया के पावन पर्व की पूजा अर्चना करने महिलाएं आती हैं, यह  पावन व्रत संतान समृद्धि सुख के लिए रखा जाता है, छठ मैईया के पावन पर्व का व्रत यूं तो 36 घंटे का चलता है, सूर्य के अस्त के दौरान घर का बड़ा बेटा घर का पिता व्रत करने वाली महिला को अर्ग देकर सूर्यास्त के साथ यह पूजा समाप्त होती है, वहीं दूसरे दिन जब सूर्य उदय होते हैं तो फिर से अर्ग देकर इस व्रत की समाप्ति होती है। कहा जाता है की पुराण काल से यह व्रत चल रहा है घर की महिलाएं इस व्रत को 36 घंटे के लिए रखती हैं वह भी निर्जला, कहा जाता है कि यह व्रत बड़ा कठिन व्रत माना जाता है, लेकिन उतना ही शक्तिशाली भी होता है, जो छठ मैईया के इस पावन व्रत को रखता है मां गंगा के तट पर जाकर बालू की पिंडी बनाकर छठ मैईया की पूजा अर्चना करता है और जो भी मन्नत मानता है छठ मैईया निश्चित रूप से उसकी मनोकामना पूरी करती है, वहीं नीलम गुप्ता कांग्रेस सेवादल प्रदेश सचिव जी ने मंदिर की सारी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाते हुए लोगों को जागरूक करते हुए उनको सावधानी बरतने को कहाँ की किसी को भी किसी प्रकार की वसूली न दें ये सारा इंतज़ाम जीवन रक्षक सेवा समिति द्वारा सेवा फ्री है।

मोहम्मद नईम की रिपोर्ट

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