कानपुर ।हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी होती है और अक्सर हार्ट अटैक के मरीज को जिंदगी का दूसरा मौका नहीं मिलता है। इस स्थिति को मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन भी कहा जाता है, हार्ट अटैक तब होता है जब हार्ट की मांसपेशियों के एक हिस्से को पर्याप्त खून नहीं मिलता है।
डॉ अभिनीत गुप्ता, कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा गोल्डन ऑवर अक्सर एक ऐसा समय होता है जो यह तय करता है कि मरीज बच पाएगा या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि दिल की मांसपेशियां खून की सप्लाई बंद होने के 80 से 90 मिनट के अंदर ही मरने लगती हैं। छह घंटे के भीतर दिल के लगभग सभी प्रभावित हिस्से अपरिवर्तनीय रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। हमारे हॉस्पिटल ने युवा हार्ट मरीजों या हार्ट अटैक के मेडिकल एमरजेंसी केसेस में भी वृद्धि देखी है जहां व्यक्ति अपने उम्र के 20 या 30वे दशक में होते है। चिंता की बात यह है कि बिना ख़तरे वाले युवाओं को भी हार्ट का दौरा पड़ रहा है। और सभी को उनका उपयोग करने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। हार्ट अटैक से निपटने के लिए एंजियोप्लास्टी जैसे विशेष उपचार उपलब्ध हैं।
हार्ट अटैक के सही इलाज करने पर बहुत सारी जानें बच सकती हैं-डॉ अभिनीत गुप्ता


















