22 अक्टूबर बुधवार को मैनावती मार्ग स्थित इस्कॉन कानपुर द्वारा श्री श्री गिरिराज महाराज की भव्य गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया। गिरिराज महाराज हरिदासों में सर्वश्रेष्ठ हैं। जिन्होंने एक ही स्थान पर अपने शरीर को भगवान की लीलाभूमि के लिए समर्पित कर दिया।
भगवान को अपने भक्त स्वयं से भी अधिक प्रिय होते हैं। उनकी महिमा को बढ़ाने और भक्तों की रक्षा करने के लिए भगवान ने गिरिराज जी को अपने श्रीहस्त से उठाकर 7 दिनों तक धारण किया और उनकी पूजा तथा परिक्रमा के प्रथम आचार्य बनाकर अपने आचरण से हमें शिक्षा दी कि गिरिराज जी प्रेम और भक्ति की पराकाष्ठा हैं।
श्री गिरिराज गोवर्धन की यह लीला भगवान श्री कृष्ण के पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान एवं परम सत्य करने को स्थापित करती है
इस लीला के माध्यम से भगवान ने इंद्र देव के अभिमान को भंग करके यह स्थापित किया कि कैसे चर-अचर प्राणियों एवं संपूर्ण सृष्टि के एकमात्र परम नायक, नियन्ता,भोक्ता श्री कृष्ण है।
गिरिराज भगवान श्री कृष्ण के दिव्य धाम गोलोक-वृंदावन से इस पृथ्वी लोक के ब्रज में अवतरित हुए थे। वे एकांत कुंजों, गुफाओं, पवित्र सरोवरों और तालाबों के साथ आए थे, जो दिव्य युगल श्री राधा कृष्ण की सेवा में उपयोगी हैं। गिरिराज-गोवर्धन तत्वतः कृष्ण से अभिन्न हैं, फिर भी उन्हें हरि-दास-वर्य, अर्थात् हरि के सभी सेवकों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
श्री गिरिराज की इन सुंदर कंद्राओं, कुंडों एवं वनों में भगवान श्री कृष्ण ने अपने गोप सखाओं व गोपियों के साथ अनेकों लीलाओं का रसास्वादन किया।
इसी भाव के साथ इस्कॉन कानपुर भक्त समूह ने विशेष गोवर्धन पूजा का आयोजन किया। इस पूजन में 1008 भोगों
से श्री गिरिराज जी का भव्य स्वरूप बनाया गया।
प्रातः कालीन मंगला आरती के साथी श्री श्री राधा माधव जी ,श्री श्री श्री निताई गौर सुंदर , एवं श्री श्री जानकी जानकी वल्लभ लक्ष्मण हनुमान जी की सेवा में सभी भक्त पूर्ण श्रद्धा भाव के साथ समर्पित रहे।
प्रातः कालीन श्रीमद्भागवतम कथा सत्र में गोवर्धन लीला के तत्व के ऊपर चर्चा की गई।
तत्पश्चात 11:00 बजे से श्री गिरिराज जी महाराज को समर्पित वैष्णव गीतों के साथ अद्भुत वातावरण अनुभव किया गया। मृदंग एवं करताल इत्यादि वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ हरे कृष्ण महामंत्र के कीर्तन ने संपूर्ण वातावरण को कृष्णाभावनाभावित बना दिया
12:00 बजे से अन्नकूट महोत्सव का प्रारंभ हुआ जिसमें सभी भक्तों ने श्री गिरिराज के अद्भुत दर्शन किए साथ ही परिक्रमा भी लगाई
1:00 बजे अन्नकूट महोत्सव का विशेष महाप्रसाद सभी को वितरण किया गया।
गोवर्धन लीला त्याग समर्पण श्रद्धा एवं भक्ति भाव को प्रकाशित करती है ।
इस वर्ष का गोवर्धन उत्सव समस्त कानपुर में अद्वितीय एवं अनोखा था



















